शहीद महेन्द्र कर्मा बस्तर विश्वविद्यालय, जगदलपुर की शिकायत

शहीद महेन्द्र कर्मा बस्तर विश्वविद्यालय, जगदलपुर की शिकायत

1. रोस्टर संबंधी अनियमितताएँ (भर्ती में ST/SC/OBC/Female आरक्षण)

स्वीकृत पदों के अनुसार रोस्टर नहीं है।

महिला आरक्षण नहीं दिया गया है।


2. विज्ञापन उपरांत मंगाई गई दस्तावेजों की आपत्ति का स्पष्ट विवरण नहीं

3. विज्ञापन संबंधी अनियमितताएँ

आयु सीमा छत्तीसगढ़ शासन भर्ती नियम के अनुसार नहीं है।

अधिकतम योग्य को “NFS (Not/None Found Suitable)” बोल कर बाहर कर दिया गया, जिसकी कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई।

'अलाइड विषयों' की जानकारी नहीं दी गई।


4. विज्ञापन जारी करने में अनियमितता और कूटरचना:

बिना ठोस कारण 2 बार विज्ञापन की तिथि बढ़ाई गई (महिला विशेष के लिए)।


5. साक्षात्कार के बाद नियुक्ति में जल्दबाजी और अनियमितता:

आज दिनांक तक विश्वविद्यालय की वेबसाइट/पटल या किसी अन्य माध्यम से चयन सूची (रिजल्ट) और प्रतीक्षा सूची सार्वजनिक नहीं की गई।

कार्यपरिषद के मिनट्स दो बार संशोधित कर 30.05.2025 को जारी किए गए, परंतु 24.05.2025 को कार्यपरिषद की 58वीं बैठक के तुरंत बाद शाम को ही नियुक्ति दे दी गई।

कार्यपरिषद की 58वीं बैठक अवैधानिक रूप से / सर्वोच्च न्यायालय के उल्लंघन में, बिना किसी ठोस कारण के जारी विज्ञापन नियमों में बदलाव की अनुमति प्राप्त की गई।


6. सामान्य श्रेणी से योग्य उम्मीदवार को OBC आरक्षित श्रेणी में अवैध रूप से चयन किया गया।

7. कार्यपरिषद की 59वीं बैठक (15/06/2025) में हुई अनियमितताएँ और छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 का उल्लंघन:

बैठक में 22 में से 16 सदस्य (सभी विधायक, शिक्षाविद् और कुलसचिव) अनुपस्थित थे।


8. अंग्रेजी अध्ययनमलय में 33 योग्य अभ्यर्थियों और एंथ्रोपोलॉजी विषय में 34 योग्य अभ्यर्थियों में से किसी का भी चयन नहीं किया गया और उन्हें NFS कहकर बाहर कर दिया गया।

9. असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर NFS घोषित कर, उसी व्यक्ति को उच्च पद एसोसिएट प्रोफेसर पर चयनित किया गया।

10. बायोटेक्नोलॉजी विषय में प्रोफेसर पद के लिए पात्र/योग्य उम्मीदवार डॉ. वीरज श्रीवास्तव को NFS घोषित कर बाहर किया गया:

जबकि पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के सांख्यिकी विभाग में हाल ही में एकमात्र उम्मीदवार होने पर भी प्रोफेसर पद पर नियुक्त किया गया।

एक ही राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के नियम अलग कैसे हो सकते हैं?


11. अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और विकलांग आरक्षित सीटों पर पर्याप्त योग्य उम्मीदवार होने पर भी उन्हें NFS घोषित किया गया।

12. कार्यपरिषद के सबसे वरिष्ठ और अनुभवी शिक्षाविद् सदस्य प्रोफेसर एस. के. पाण्डेय, पूर्व कुलपति (दो बार), के सुझाव एवं शंकाओं की अनदेखी।

13. कई शंकाओं की अनदेखी कर मनमानी कर छत्तीसगढ़ शासन की नियमों को ताक पर रखकर अनियमितताएं पूरी की गईं, आरक्षण एवं संवैधानिक नियमों का उल्लंघन कर, पक्षपात एवं भ्रष्टाचार सहित भर्ती की गई है।