ट्रांसफर नीति: शिक्षकों-पुलिसकर्मियों को झटका, 14 जून से होंगे ज़िला स्तरीय तबादले

ट्रांसफर नीति: शिक्षकों-पुलिसकर्मियों को झटका, 14 जून से होंगे ज़िला स्तरीय तबादले

 राज्य सरकार ने स्थानांतरण नीति 2025 लागू कर दी है, जिससे सरकारी कर्मचारियों में हलचल मच गई है। खास तौर पर शिक्षकों और पुलिसकर्मियों के लिए यह नीति झटका लेकर आई है, क्योंकि इन्हें पूरी तरह नई ट्रांसफर प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। वहीं गृह विभाग, आबकारी, खनिज, परिवहन, वाणिज्य कर, पंजीयन, निगम, आयोग, मंडल और स्वायत्त संस्थाओं के कर्मचारियों पर भी यह नीति लागू नहीं होगी।

राज्य के कैबिनेट मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने कहा कि शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण चल रहा है, इसलिए उनका ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। पुलिस विभाग में वैसे भी सालभर अलग-अलग कारणों से ट्रांसफर होते रहते हैं, इसलिए उस पर भी रोक नहीं लगाई गई है। उन्होंने आगे बताया कि निगम, मंडल, बोर्ड में नए पदाधिकारी नियुक्त हुये हैं। इसी वजह से इन विभागों में भी ट्रांसफर नहीं होंगे।

14 जून से शुरू होंगे तबादले
राज्य सरकार ने घोषणा की है कि तृतीय श्रेणी (गैर-कार्यपालिक) और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के जिला स्तरीय स्थानांतरण 14 जून से 25 जून तक किए जाएंगे। इसके लिए स्वैच्छिक आवेदन 6 जून से 13 जून तक संबंधित विभाग के जिला कार्यालय में जमा किए जा रहे हैं।

नीति की प्रमुख बातें:
    स्थानांतरण उन्हीं शासकीय सेवकों का किया जाएगा जो दो वर्ष या उससे अधिक समय से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं।

    परस्पर सहमति से स्थानांतरण की अनुमति है, लेकिन दोनों आवेदकों का संयुक्त हस्ताक्षर जरूरी होगा।

    तीसरी श्रेणी में अधिकतम 10% और चौथी श्रेणी में अधिकतम 15% कर्मचारियों का ही ट्रांसफर हो सकेगा।

    जिन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति में एक वर्ष से कम समय बचा है, उन्हें विकल्प पर ट्रांसफर किया जा सकेगा।

गंभीर बीमारी और निःशक्तता के मामलों में विशेष प्रावधान
यदि कोई कर्मचारी कैंसर, डायलिसिस या हार्ट सर्जरी जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है और इलाज की सुविधा पदस्थापना स्थल पर नहीं है, तो मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर स्थानांतरण हो सकेगा। इसी तरह, जिनके पति/पत्नी या बच्चे मानसिक निःशक्तता अथवा ऑटिज्म से पीड़ित हैं, उन्हें अपने खर्च पर ऐसी जगह पोस्टिंग दी जा सकती है जहां इलाज और शिक्षा की सुविधा हो।

10 दिन में कार्यमुक्त होना अनिवार्य
स्थानांतरण आदेश के बाद कर्मचारी को 10 दिन के भीतर कार्यमुक्त होना होगा। ऐसा नहीं करने पर सक्षम अधिकारी एकतरफा आदेश देकर ट्रांसफर को प्रभावी मानेगा। आदेश की अवहेलना करने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

शहर-ग्रामीण संतुलन और रिक्तियों पर नजर

नई नीति में शहरी और ग्रामीण इलाकों में संतुलित पदस्थापन सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। जिन क्षेत्रों में कर्मचारियों की संख्या अधिक है, वहां से कम स्टाफ वाले इलाकों में ट्रांसफर अनिवार्य होगा।

26 जून के बाद ट्रांसफर पर पूर्ण प्रतिबंध
जिला स्तरीय स्थानांतरण की अंतिम तिथि 25 जून निर्धारित की गई है। इसके बाद, 26 जून से ट्रांसफर पर पूर्ण प्रतिबंध लागू हो जाएगा। इस तारीख के बाद किसी भी ट्रांसफर आदेश के लिए मुख्यमंत्री की अनुमति अनिवार्य होगी।

ट्रांसफर के खिलाफ अभ्यावेदन की सुविधा
यदि कोई कर्मचारी स्थानांतरण से असंतुष्ट है और नीति के उल्लंघन का स्पष्ट आधार है, तो वह 15 दिनों के भीतर वरिष्ठ सचिव समिति के पास अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकता है।

नई ट्रांसफर नीति का पालन सुनिश्चित करना संबंधित विभाग प्रमुख और कलेक्टरों की जिम्मेदारी होगी। राज्य सरकार ने सभी निर्देशों के ईमानदार क्रियान्वयन पर विशेष जोर दिया है।