⭐चांदनी रात का आलम⭐
Premdeep
शमा बांध रहे हैं उनके आने की..
जिद है उनकी रूह में उतर जाने की....
चांद से फरियाद कर रहे हैं..
निगाहों में उनकी ठहर जाने की..।
मेरी तन्हाई पर चांदनी हंस रही है ?
रात खामोशी सुन रही है,
रूमानी चाहत इस दीवाने की...!