स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय, जगदलपुर में 10 जुलाई 2025 को व्यास पूजा का आयोजन अत्यंत श्रद्धा और गरिमा के साथ किया गया

स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय, जगदलपुर में 10 जुलाई 2025 को व्यास पूजा का आयोजन अत्यंत श्रद्धा और गरिमा के साथ किया गया

स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय, जगदलपुर में 10 जुलाई 2025 को व्यास पूजा का आयोजन अत्यंत श्रद्धा और गरिमा के साथ किया गया। यह आयोजन भारतीय संस्कृति की गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मान देने और उसकी आत्मा को जीवित रखने का एक सशक्त प्रयास था। व्यास पूजा का दिन महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों का विभाजन कर उन्हें चार भागों में क्रमबद्ध किया, महाभारत और अठारह पुराणों की रचना की और भारतीय ज्ञान परंपरा को सुव्यवस्थित स्वरूप प्रदान किया। कार्यक्रम का आरंभ वैदिक मंत्रोच्चारण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसके पश्चात विद्यार्थियों ने पुष्प अर्पित कर अपने गुरुजनों का अभिनंदन किया। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत प्रभावशाली रहा, जिसमें विद्यार्थियों, शिक्षकों और महाविद्यालय परिवार ने सक्रिय भागीदारी निभाई।

कार्यक्रम के दौरान सहायक प्राध्यापक मनीषा टाइगर और डॉ. रवि द्विवेदी ने संयुक्त रूप से गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व और उसकी आधुनिक प्रासंगिकता पर अपने विचार प्रस्तुत किए। मनीषा टाइगर ने अपने भाषण में कहा कि गुरु केवल शिक्षक नहीं होते, वे जीवन के पथप्रदर्शक होते हैं, जो शिष्य के अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर उसमें आत्मबोध का प्रकाश भरते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज की तकनीक आधारित शिक्षा प्रणाली में आत्मीयता और नैतिकता का जो अभाव दिखता है, उसे गुरु की प्रेरणा और मार्गदर्शन ही भर सकता है। डॉ. रवि द्विवेदी ने अपने उद्बोधन में महर्षि वेदव्यास के योगदान को रेखांकित करते हुए गुरु पूर्णिमा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भूमिका को समझाया। उन्होंने राम-वशिष्ठ, कृष्ण-संदीपनि, विवेकानंद-रामकृष्ण जैसे उदाहरणों से यह स्पष्ट किया कि गुरु और शिष्य का संबंध केवल औपचारिक नहीं, बल्कि गहन आत्मीय और आध्यात्मिक होता है, जो समाज और राष्ट्र निर्माण की नींव रखता है। कार्यक्रम में विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने इस परंपरा को और जीवंत कर दिया।

समारोह के अंत में धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. अतुल त्रिवेदी द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि व्यास पूजा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना को जीवित रखने का माध्यम है। उन्होंने मनीषा टाइगर और डॉ. रवि द्विवेदी के प्रेरक विचारों की सराहना करते हुए यह भी कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं और उन्हें यह सिखाते हैं कि शिक्षा केवल ज्ञान अर्जन नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण का भी साधन है। उन्होंने समस्त आयोजन समिति, शिक्षकगण, छात्र-छात्राओं और स्टाफ सदस्यों को कार्यक्रम की सफलता के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से हम भारतीय संस्कृति की उस अमूल्य धरोहर को जीवित रख सकते हैं, जिसमें गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश से भी ऊपर स्थान दिया गया है। डॉ. त्रिवेदी के मार्मिक और प्रेरणास्पद शब्दों के साथ यह कार्यक्रम संपन्न हुआ, जिसने उपस्थित सभी जनों के हृदय में गुरु-शिष्य परंपरा के प्रति श्रद्धा, संवेदना और पुनः समर्पण का भाव जाग्रत किया।