रायपुर शराब घोटाले में बड़ा खुलासा: 11 अफसरों ने खा लिए 88 करोड़, EOW की चार्जशीट से मचा हड़कंप, देखें सूची

रायपुर। छत्तीसगढ़ में 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट के मुताबिक, घोटाले में शामिल 11 आबकारी अधिकारियों ने 88 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध कमीशनखोरी की। यह रकम उन्होंने न सिर्फ निजी संपत्ति खरीदने में लगाई, बल्कि इसे परिजनों और रिश्तेदारों के नाम पर बेनामी चल-अचल संपत्तियों में भी निवेश किया।
जानकारी के अनुसार चार्जशीट में बताया गया है कि इन अफसरों ने राज्य के विभिन्न जिलों में जमीन, फ्लैट, व्यावसायिक भवन, शेयर, बॉन्ड और डिबेंचर में बेहिसाब पैसा लगाया। इसके अलावा शराब कारोबार से हुई काली कमाई को कंपनियों में निवेश और भव्य खर्च के ज़रिये भी खपाया गया। सबसे चौंकाने वाला नाम नवीन प्रताप सिंह तोमर का है, जिसने रायपुर और बलौदाबाजार में 39 खसरे और 3 रजिस्ट्रियों में संपत्ति खरीदी, जो उसके और इंदिरा देवहारी के नाम पर हैं। मंजूश्री कसेर ने रायपुर, जांजगीर और गरियाबंद में 25 प्रॉपर्टी खरीदीं, जिनमें ज़्यादातर उनके रिश्तेदारों और परिचितों के नाम पर दर्ज हैं। नोहर सिंह ठाकुर ने रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव में प्रॉपर्टी खरीदकर करुणा सुधाकर, लवकुश नायक और विजयलाल जाटवर जैसे नामों के सहारे धन छुपाया। प्रमोद नेताम ने कोरिया, कोरबा और रायपुर में 6 प्रॉपर्टी अपने व परिजनों के नाम खरीदीं। वहीं, दिनकर वासनिक ने काली कमाई से IOC के शेयर खरीदे। चार्जशीट में ईकबाल अहमद खान, मोहित जायसवाल, विजय सेन शर्मा, नीतिन खंडूजा और अरविंद पटले जैसे अफसरों के नाम भी सामने आए हैं, जिन्होंने विभिन्न जिलों में ज़मीन और प्रॉपर्टी खरीदी। ईओडब्ल्यू ने इन सभी संपत्तियों के दस्तावेज़ जब्त कर लिए हैं और जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है।चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि कवासी लखमा के कार्यकाल में अवैध शराब के पैसे से कांग्रेस भवन का निर्माण तक करवा दिया गया। बाद में जाँच के बाद इस भवन को सील कर जब्त किया गया। इतना ही नहीं, कोरोना काल को भी घोटाले के लिए एक मौके की तरह इस्तेमाल किया गया। उस दौरान शराब की बिक्री को दोगुना बढ़ाया गया और करोड़ों की अवैध कमाई को सरकारी संरक्षण में ठिकाने लगाया गया। इस पूरे घोटाले में सिर्फ अफसर नहीं, बल्कि एक पूरी सत्ता व्यवस्था शामिल रही, जो रायपुर से लेकर दिल्ली तक पैसा पहुँचाने का काम करती रही। EOW की चार्जशीट से एक बार फिर ये साफ हुआ है कि कैसे भ्रष्टाचार और सत्ता के गठजोड़ ने जनता के पसीने की कमाई को लूटा और उसे बेनामी संपत्तियों में बदल दिया।