मोतियाबिंद की प्राकृतिक चिकित्सा __________
कृष्ण कुमार निगम
छत्तीसगढ़ राज्य वनों से आच्छादित राज्य है, यहां के वनों में निवासरत परम्परागत वैद्यों के वनौषधियों का ज्ञान इसे और समृद्धशाली बनाता है ! परम्परागत वैद्यों का जीवन जितना सहज और सरल है उतना ही उनके वनौषधियों का ज्ञान विरल है! दूर वनांचलों में राज्य की प्राथमिक चिकित्सा और स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका इन्हीं वैद्यों की है ! ज्वर मलेरिया, पेट से सम्बन्धित बीमारियों, आदि का इलाज स्थानीय स्तर पर इन वैद्यों के द्वारा सदियों से किया जा रहा है! इसी परंपरागत वनौषधियों के ज्ञान में पारंगत वैद्य श्री संतोष पटेल, एवं उनके सहयोगी श्री तीजूराम साहू ग्राम मल्हारी के द्वारा किया जाने वाला नेत्र जाला उपचार ,नेत्रों की गंभीर से गंभीर बीमारियों, मोतियाबिंद और आंखों की अन्य समस्याओं का भी निदान करने में लगे हुए हैं । इनके द्वारा राज्य में पाई जाने वाली एक वनस्पति जिसका स्थानीय नाम नेत्र ज्योति है वनस्पति शास्त्र की भाषा में इसे हाइग्रोफिला पॉलिस्परमा कहते है के बीजों का प्रयोग कर नेत्रों के असाध्य रोगों का इलाज किया जा रहा हैं। वैधराज संतोष पटेल और तीजूराम साहू ने बताया कि आंखों में दवा डालने के लिए गुल बकावली के फूलों को उबाल कर उसका वाष्पीकरण (डिस्टिलेशन)करके अर्क तैयार करते है ।संग्रहित जल को शीशियों में भरा जाता और उसमें तेंदू लासा ( गोंद) को बारीक बारीक कण करके शीशियों में मिलाकर उपयोग करते है।आगे उन्होंने बताया कि शीशियों में अर्क डालने के पहले गर्म पानी में उबाला जाता है ,ताकि शीशियों के जर्म( कीटाणु)नष्ट हो जाएं। आंखों का जाला निकालने का कार्य 04बार प्रति 15दिनों के अंतराल में किया जाता है। इस कार्य के लिए ये लोगआसपास के कई राज्यों में कैंप भी लगाते है।इसी सिलसिले मे आज 10नवंबर को भीमसेन भवन समता कॉलोनीमें अग्रवाल समाज के द्वारा कैंप आयोजित है।क्या किसी चिकित्सक ने इस पद्धति का उपयोग किया है ❓पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि डॉ रमन सिंह ने स्वयं अपने परिवार ,अपने पूरे स्टाफ और सुरक्षा कर्मियों का इलाज करवाया है। 01 से 05 नवंबर तक राज्योत्सव में वन विभाग के पंडाल में , सैकड़ों मरीजों ने इनसे ईलाज कराया है।पंडाल में वन विभाग की ओर से उपस्थित डॉ नीतू हरमुख प्रोफेसर वनस्पतिशास्त्र ने बताया कि इनके इलाज से लोगों के चश्मे उतर गए हैं और वे लोग बारीक अक्षर भी खुले नेत्रों से पढ़ रहे है। डॉ नीतू ने बताया कि स्वयं उन्होंने भी ईलाज करवाया है।